Thursday, January 7, 2016

Interesting Facts About Facebook


  1. Facebook has been banned in China since 2009.
  2. There are about 30 million dead people on Facebook.
  3. You cannot block Mark Zuckerberg on Facebook.
  4. Every day , 6 lakhs hacking attempts are made on various Facebook accounts. 
  5. Initially , Facebook had Al Pacino's face on its homepage.
  6. Faebook is blue because Mark Zukerberg is colour blind.
  7. See the globe on your Facebook notification tab ? well, it changes according to your location.
  8. Adding the number 4 to the Facebook URL will directly lead you to Mark Zuckerberg's Facebook page
  9. 8.7 % of Facebook users are fake 
  10. The "Like" button on Facebook was originally supposed to be called "awesome"


Monday, January 4, 2016

Top 10 Engineering Entrances You Can't Miss


  1. Joint Entrance Examination (Main) http://jeemain.nic.in/
  2. Joint Entrance Examination (Advanced) http://www.jeeadv.ac.in/
  3. VIT Engineering Entrance Examination (VITEEE) https://academics.vit.ac.in/online_application/viteee/apply.asp
  4. SRM Joint Engineering Entrance Examination (SRMJEE) http://apply.srmuniv.ac.in/ 
  5. Birla Institute Of Technology and Science Admission Test ( BITSAT) http://bitsadmission.com/bitsatmain.aspx 
  6. Manipal University Online Entrance Test MUOET - http://manipal.edu/mu/admission/indian-students/online-entrance-exam-overview/online-entrance-test-schedule.html 
  7. Uttar Pradesh State Entrance Examination UPSEE- www.upsee.nic.in 
  8. Bihar Combined Entrance Competitive Examination - http://bceceboard.com/Home.php 
  9. Kerala Engineering Agricultural Medical Entrance Examination KEAM- www.cee-kerala.org 
  10. West Bengal Joint Entrance Exam WBJEE-  http://wbjeeb.in/ 

Top 10 Affordable Institutes Of India

1-Faculty of Management Studies, New Delhi
Fee- 21, 560 rs
Average Annul Salary - 17,04,000 rs
Return On Investment - 79.035
Website- www.fms.edu

2-Department of Business Management , Calcutta University
Fee- 15,488 rs
Average Annul Salary - 4,80,000 rs
Return On Investment- 30,9992.
Website - http://www.caluniv.ac.in/academic/busi_mgmt.html

3-FMS, Maharaja Sayaji Rao University Of Vadodara
Fee- 29000 rs
Average Annul Salary - 4,03,000 rs
Return On Investment-13.897
Website - http://www.msubaroda.ac.in

4-Jamnalal Bajaj Institute Of Management Studies, Mumbai
Fee- 2,10,000 rs
Average Annul Salary - 17,42, 000 rs
Return On Investment- 7.406
Website - http://www.jbims.edu/

5-Sydenham Institute of Management Studies, Research and Entrepreneurship Education (SIMSREE) , Mumbai 
Fee- 1,38,000 rs
Average Annul Salary - 10,22, 000 rs
Return On Investment- 7.406
Website - http://www.simsree.org/

6-Deaprtment Of Management Studies , Pondichery University
Fee- 72,400 rs
Average Annul Salary - 3,50,000 rs
Return On Investment- 4.834
Website - http://www.pondiuni.edu.in/department/department-management-studies


7-PSG Institute Of Management Studies , Coiambture 
Fee- 1,80,000  rs
Average Annul Salary - 7,20,000 rs
Return On Investment- 4.0000
Website- http://psgim.ac.in/


8-Institute Of Management and Entrepreneurship Development , Pune

Fee- 1,75,000 rs
Average Annul Salary - 6,50,000 rs
Return On Investment- 3.714

9-Department Of Management Studies , IISC , Banglore

Fee- 3,00,000 rs
Average Annul Salary - 10,60, 000 rs
Return On Investment- 3.533
Website- http://mgmt.iisc.ernet.in/

10-Department Of Management Studies , NIT , Trichurapalli
Fee- 2,00,000 rs
Average Annul Salary - 7,00,000 rs
Return On Investment- 3.500
Website - http://www.nitt.edu/home/academics/departments/management/

Source - India Today MDRA Best B- School  Survey 2015.








Sunday, January 3, 2016

जी.एस.टी के फायदे


इस कर सुधार से देश की वित्तीय सेहत में काफी सुधार होगा.


  1. यह अकेला सबसे बड़ा सुधार है जो देश की अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचा सकता है 
  2. इससे एक , सहभागी और संयुक्त भारतीय बाजार खाद हो सकेगा 
  3. परोक्ष कर संग्रह में 30  से 40  फीसदी की वृद्धि हो सकती हैं.
  4. कर चोरी मुश्किल हो जाएगी क्यूंकि हर सौदा कर प्रणाली के तहत आ जायेगा 
  5. यह काले धन से निबटने का प्रमुख हथियार साबित होगा 
  6. इससे औसत कीमतों में 1 .5  से 2 फीसदी की कमी हो सकती हैं जिससे लोग फायदे में रहेंगे 

Tuesday, December 29, 2015

दुनिया के सबसे ख़ूबसूरत रचना "माँ " के बारे में कुछ शख्सियतों के विचार



  • भगवान सभी जगह नहीं हो सकते है , इसलिए उन्होंने माँ बनाई- रुडयार्ड किपलिंग



  • मातृत्व - सारा प्रेम वाही से प्रारम्भ और अंत होता है - रॉबर्ट ब्राउनिंग 



  • जिंदगी उठने और माँ के चेहरे से प्यार करने के साथ शुरू हुई -- जॉर्ज इलियट 



  • जिस घर में माँ होती है ; वहाँ सभी चीज़ें सही रहती है - रॉल्फ वाल्डो एमर्सन 



  • यक़ीनन मेरी माँ मेरी चट्टान है - एलिसिआ कीज़



  • एक पिता  अपने बच्चों के लिए जो सबसे प्रमुख चीज़ कर सकता है वह है उनकी माँ से प्रेम करना -- थिओडोर हेस्बर्ग 



  • मैं जो कुछ भी हूँ या होने की आशा रखता हूँ , उसका श्रेय मेरी माँ  को जाता है -- अब्राहम लिंकन 



  • केवल माएं भविष्य के बारे में सोच सकती हैं क्यूंकि वे अपने बच्चों के रूप में उन्हें जन्म देती है -मैक्सिम गोर्की 



  • मुझे पूरा भरोसा हैं कि अगर सरे देशों की माएं मिल पाती तो युद्ध नहीं होते -  ई. एम . फोरेस्टर 



  • माँ को दिया गया कोई भी उपहार उस तोहफे की बराबरी नहीं कर सकता , जो उसे तुम्हें जीवन के रूप में दिया - अरस्तु   

Management Lessons From Holy Geeta

मार्गशीर्ष (अगहन) मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती (इस बार 21 दिसंबर, सोमवार) का पर्व मनाया जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन मोह में फंसे अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। गीता दुनिया के उन चंद ग्रंथों में शुमार है जो आज भी सबसे ज्यादा पढ़े जा रहे हैं।
गीता किसी काल, धर्म, संप्रदाय या जाति विशेष के लिए नहीं बल्कि संपूर्ण मानव जाति के लिए है। इसके 18 अध्यायों के करीब 700 श्लोकों में हर उस समस्या का समाधान है जो कभी ना कभी हर इंसान के सामने आती है।
श्लोक
त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः।
कामः क्रोधस्तथा लोभस्तरमादेतत्त्रयं त्यजेत्।।
अर्थ- काम, क्रोध लोभ। यह तीन प्रकार के नरक के द्वार आत्मा का नाश करने वाले हैं अर्थात् अधोगति में ले जाने वाले हैं, इसलिए इन तीनों को त्याग देना चाहिए।


मैनेजमेंट सूत्र
काम यानी इच्छाएं, गुस्सा लालच ही सभी बुराइयों के मूल कारण हैं। इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने इन्हें नरक का द्वार कहा है। जिस भी मनुष्य में ये 3 अवगुण होते हैं, वह हमेशा दूसरों को दुख पहुंचाकर अपने स्वार्थ की पूर्ति में लगे रहते हैं। अगर हम किसी लक्ष्य को पाना चाहते हैं तो ये 3 अवगुण हमें हमेशा के लिए छोड़ देना चाहिए। क्योंकि जब तक ये अवगुण हमारे मन में रहेंगे, हमारा मन अपने लक्ष्य से भटकता रहेगा।

श्लोक
तानि सर्वाणि संयम्य युक्त आसीत मत्परः
वशे हि यस्येन्द्रियाणि तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।
अर्थ- श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि मनुष्यों को चाहिए कि वह संपूर्ण इंद्रियों को वश में करके समाहितचित्त हुआ मेरे परायण स्थित होवे, क्योंकि जिस पुरुष की इंद्रियां वश में होती हैं, उसकी ही बुद्धि स्थिर होती है।

मैनेजमेंट सूत्र- जीभ, त्वचा, आंखें, कान, नाक आदि मनुष्य की इंद्रीयां कही गई हैं। इन्हीं के माध्यम से मनुष्य विभिन्न सांसारिक सुखों का भोग करता है जैसे- जीभ अलग-अलग स्वाद चखकर तृप्त होती है। सुंदर दृश्य देखकर आंखों को अच्छा लगता है। श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि जो मनुष्य अपनी इंद्रीयों पर काबू रखता है उसी की बुद्धि स्थिर होती है। जिसकी बुद्धि स्थिर होगी, वही व्यक्ति अपने क्षेत्र में बुलंदी की ऊंचाइयों को छूता है और जीवन के कर्तव्यों का निर्वाह पूरी ईमानदारी से करता है।



श्लोक
योगस्थ: कुरु कर्माणि संग त्यक्तवा धनंजय।
सिद्धय-सिद्धयो: समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।।
अर्थ- हे धनंजय (अर्जुन) कर्म करने का आग्रह त्यागकर, यश-अपयश के विषय में समबुद्धि होकर योगयुक्त होकर, कर्म कर, (क्योंकि) समत्व को ही योग कहते हैं।

मैनेजमेंट सूत्र धर्म का अर्थ होता है कर्तव्य। धर्म के नाम पर हम अक्सर सिर्फ कर्मकांड, पूजा-पाठ, तीर्थ-मंदिरों तक सीमित रह जाते हैं। हमारे ग्रंथों ने कर्तव्य को ही धर्म कहा है। भगवान कहते हैं कि अपने कर्तव्य को पूरा करने में कभी यश-अपयश और हानि-लाभ का विचार नहीं करना चाहिए। बुद्धि को सिर्फ अपने कर्तव्य यानी धर्म पर टिकाकर काम करना चाहिए। इससे परिणाम बेहतर मिलेंगे और मन में शांति का वास होगा।
मन में शांति होगी तो परमात्मा से आपका योग आसानी से होगा। आज का युवा अपने कर्तव्यों में फायदे और नुकसान का नापतौल पहले करता है, फिर उस कर्तव्य को पूरा करने के बारे में सोचता है। उस काम से तात्कालिक नुकसान देखने पर कई बार उसे टाल देते हैं और बाद में उससे ज्यादा हानि उठाते हैं।

श्लोक
नास्ति बुद्धिरयुक्तस्य चायुक्तस्य भावना।
चाभावयत: शांतिरशांतस्य कुत: सुखम्।।
अर्थ- योगरहित पुरुष में निश्चय करने की बुद्धि नहीं होती और उसके मन में भावना भी नहीं होती। ऐसे भावनारहित पुरुष को शांति नहीं मिलती और जिसे शांति नहीं, उसे सुख कहां से मिलेगा।


मैनेजमेंट सूत्रहर मनुष्य की इच्छा होती है कि उसे सुख प्राप्त हो, इसके लिए वह भटकता रहता है, लेकिन सुख का मूल तो उसके अपने मन में स्थित होता है। जिस मनुष्य का मन इंद्रियों यानी धन, वासना, आलस्य आदि में लिप्त है, उसके मन में भावना ( आत्मज्ञान) नहीं होती। और जिस मनुष्य के मन में भावना नहीं होती, उसे किसी भी प्रकार से शांति नहीं मिलती और जिसके मन में शांति हो, उसे सुख कहां से प्राप्त होगा। अत: सुख प्राप्त करने के लिए मन पर नियंत्रण होना बहुत आवश्यक है।

श्लोक
विहाय कामान् : कर्वान्पुमांश्चरति निस्पृह:
निर्ममो निरहंकार शांतिमधिगच्छति।।
अर्थ- जो मनुष्य सभी इच्छाओं कामनाओं को त्याग कर ममता रहित और अहंकार रहित होकर अपने कर्तव्यों का पालन करता है, उसे ही शांति प्राप्त होती है।

मैनेजमेंट सूत्र- यहां भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि मन में किसी भी प्रकार की इच्छा कामना को रखकर मनुष्य को शांति प्राप्त नहीं हो सकती। इसलिए शांति प्राप्त करने के लिए सबसे पहले मनुष्य को अपने मन से इच्छाओं को मिटाना होगा। हम जो भी कर्म करते हैं, उसके साथ अपने अपेक्षित परिणाम को साथ में चिपका देते हैं। अपनी पसंद के परिणाम की इच्छा हमें कमजोर कर देती है। वो ना हो तो व्यक्ति का मन और ज्यादा अशांत हो जाता है। मन से ममता अथवा अहंकार आदि भावों को मिटाकर तन्मयता से अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा। तभी मनुष्य को शांति प्राप्त होगी।

श्लोक
हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्।
कार्यते ह्यश: कर्म सर्व प्रकृतिजैर्गुणै:।।
अर्थ- कोई भी मनुष्य क्षण भर भी कर्म किए बिना नहीं रह सकता। सभी प्राणी प्रकृति के अधीन हैं और प्रकृति अपने अनुसार हर प्राणी से कर्म करवाती है और उसके परिणाम भी देती है।

मैनेजमेंट सूत्र बुरे परिणामों के डर से अगर ये सोच लें कि हम कुछ नहीं करेंगे, तो ये हमारी मूर्खता है। खाली बैठे रहना भी एक तरह का कर्म ही है, जिसका परिणाम हमारी आर्थिक हानि, अपयश और समय की हानि के रुप में मिलता है। सारे जीव प्रकृति यानी परमात्मा के अधीन हैं, वो हमसे अपने अनुसार कर्म करवा ही लेगी। और उसका परिणाम भी मिलेगा ही। इसलिए कभी भी कर्म के प्रति उदासीन नहीं होना चाहिए, अपनी क्षमता और विवेक के आधार पर हमें निरंतर कर्म करते रहना चाहिए।

श्लोक
नियतं कुरु कर्म त्वं कर्म ज्यायो ह्यकर्मण:
शरीरयात्रापि ते प्रसिद्धयेदकर्मण:।।
अर्थ- तू शास्त्रों में बताए गए अपने धर्म के अनुसार कर्म कर, क्योंकि कर्म करने की अपेक्षा कर्म करना श्रेष्ठ है तथा कर्म करने से तेरा शरीर निर्वाह भी नहीं सिद्ध होगा।

मैनेजमेंट सूत्र- श्रीकृष्ण अर्जुन के माध्यम से मनुष्यों को समझाते हैं कि हर मनुष्य को अपने-अपने धर्म के अनुसार कर्म करना चाहिए जैसे- विद्यार्थी का धर्म है विद्या प्राप्त करना, सैनिक का कर्म है देश की रक्षा करना। जो लोग कर्म नहीं करते, उनसे श्रेष्ठ वे लोग होते हैं जो अपने धर्म के अनुसार कर्म करते हैं, क्योंकि बिना कर्म किए तो शरीर का पालन-पोषण करना भी संभव नहीं है। जिस व्यक्ति का जो कर्तव्य तय है, उसे वो पूरा करना ही चाहिए।



श्लोक
यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जन:
यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते।।
अर्थ- श्रेष्ठ पुरुष जैसा आचरण करते हैं, सामान्य पुरुष भी वैसा ही आचरण करने लगते हैं। श्रेष्ठ पुरुष जिस कर्म को करता है, उसी को आदर्श मानकर लोग उसका अनुसरण करते हैं।


मैनेजमेंट सूत्र- यहां भगवान श्रीकृष्ण ने बताया है कि श्रेष्ठ पुरुष को सदैव अपने पद गरिमा के अनुसार ही व्यवहार करना चाहिए, क्योंकि वह जिस प्रकार का व्यवहार करेगा, सामान्य मनुष्य भी उसी की नकल करेंगे। जो कार्य श्रेष्ठ पुरुष करेगा, सामान्यजन उसी को अपना आदर्श मानेंगे। उदाहरण के तौर पर अगर किसी संस्थान में उच्च अधिकार पूरी मेहनत और निष्ठा से काम करते हैं तो वहां के दूसरे कर्मचारी भी वैसे ही काम करेंगे, लेकिन अगर उच्च अधिकारी काम को टालने लगेंगे तो कर्मचारी उनसे भी ज्यादा आलसी हो जाएंगे।

श्लोक
बुद्धिभेदं जनयेदज्ञानां कर्म संगिनाम्।
जोषयेत्सर्वकर्माणि विद्वान्युक्त: समाचरन्।।
अर्थ- ज्ञानी पुरुष को चाहिए कि कर्मों में आसक्ति वाले अज्ञानियों की बुद्धि में भ्रम अर्थात कर्मों में अश्रद्धा उत्पन्न करे किंतु स्वयं परमात्मा के स्वरूप में स्थित हुआ और सब कर्मों को अच्छी प्रकार करता हुआ उनसे भी वैसे ही करावे।


मैनेजमेंट सूत्र ये प्रतिस्पर्धा का दौर है, यहां हर कोई आगे निकलना चाहता है। ऐसे में अक्सर संस्थानों में ये होता है कि कुछ चतुर लोग अपना काम तो पूरा कर लेते हैं, लेकिन अपने साथी को उसी काम को टालने के लिए प्रोत्साहित करते हैं या काम के प्रति उसके मन में लापरवाही का भाव भर देते हैं। श्रेष्ठ व्यक्ति वही होता है जो अपने काम से दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनता है। संस्थान में उसी का भविष्य सबसे ज्यादा उज्जवल भी होता है।
श्लोक
ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्।
मम वत्र्मानुवर्तन्ते मनुष्या पार्थ सर्वश:।।
अर्थ- हे अर्जुन। जो मनुष्य मुझे जिस प्रकार भजता है यानी जिस इच्छा से मेरा स्मरण करता है, उसी के अनुरूप मैं उसे फल प्रदान करता हूं। सभी लोग सब प्रकार से मेरे ही मार्ग का अनुसरण करते हैं।


मैनेजमेंट सूत्र- इस श्लोक के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण बता रहे हैं कि संसार में जो मनुष्य जैसा व्यवहार दूसरों के प्रति करता है, दूसरे भी उसी प्रकार का व्यवहार उसके साथ करते हैं। उदाहरण के तौर पर जो लोग भगवान का स्मरण मोक्ष प्राप्ति के लिए करते हैं, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो किसी अन्य इच्छा से प्रभु का स्मरण करते हैं, उनकी वह इच्छाएं भी प्रभु कृपा से पूर्ण हो जाती है। कंस ने सदैव भगवान को मृत्यु के रूप में स्मरण किया। इसलिए भगवान ने उसे मृत्यु प्रदान की। हमें परमात्मा को वैसे ही याद करना चाहिए जिस रूप में हम उसे पाना चाहते hai
श्लोक
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतु र्भूर्मा ते संगोस्त्वकर्मणि ।।
अर्थ- भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि हे अर्जुन। कर्म करने में तेरा अधिकार है। उसके फलों के विषय में मत सोच। इसलिए तू कर्मों के फल का हेतु मत हो और कर्म करने के विषय में भी तू आग्रह कर।

मैनेजमेंट सूत्र- भगवान श्रीकृष्ण इस श्लोक के माध्यम से अर्जुन से कहना चाहते हैं कि मनुष्य को बिना फल की इच्छा से अपने कर्तव्यों का पालन पूरी निष्ठा ईमानदारी से करना चाहिए। यदि कर्म करते समय फल की इच्छा मन में होगी तो आप पूर्ण निष्ठा से साथ वह कर्म नहीं कर पाओगे। निष्काम कर्म ही सर्वश्रेष्ठ परिणाम देता है। इसलिए बिना किसी फल की इच्छा से मन लगाकार अपना काम करते रहो। फल देना, देना कितना देना ये सभी बातें परमात्मा पर छोड़ दो क्योंकि परमात्मा ही सभी का पालनकर्ता है।